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26 oct

जो धरती से जीवन निकालते हैं, खुद जीवन की अनिश्चितता में जीते हैं।

भारत एक कृषि प्रधान देश है, जहां करोड़ों किसान अपनी मेहनत से पूरे देश के लिए अन्न उपजाते हैं। लेकिन यह विडंबना ही है कि जो व्यक्ति धरती से जीवन निकालता है, वही व्यक्ति जीवन की सबसे बड़ी अनिश्चितता में जीता है। हर मौसम से लड़कर, हर संकट को झेलकर जब एक किसान अपने खेतों से फ़सल काटता है, तब भी उसके भविष्य की कोई गारंटी नहीं होती।

खेती एक जोखिम भरा पेशा है, जहां प्राकृतिक आपदाएं, बदलते मौसम, फसल की असफलता, बाजार के उतार-चढ़ाव और आर्थिक अस्थिरता हमेशा मंडराती रहती हैं। लेकिन इन सबसे बड़ा संकट तब आता है, जब किसी किसान की असमय मृत्यु हो जाती है। ऐसे में उनके पीछे छूटे परिवार के पास कोई स्थायी व्यवस्था नहीं होती जो उनके जीवन को संभाल सके।

ग्लोबल रिपोर्ट्स के अनुसार, दुनिया भर में ग्रामीण इलाकों में जब मुख्य कमाने वाले व्यक्ति की मृत्यु होती है, तो परिवार की आय औसतन 50% से अधिक घट जाती है। भारत में यह आंकड़ा और भी गंभीर हो जाता है क्योंकि यहां किसानों के पास न तो बीमा होता है, न ही सामाजिक सुरक्षा योजना का लाभ पहुंच पाता है। 2021 की एक रिपोर्ट के अनुसार, देश में हर साल लगभग 11,000 किसान आत्महत्या कर लेते हैं। जबकि लाखों किसान ऐसे हैं जिनका अचानक निधन होने पर उनके परिवार बेसहारा हो जाते हैं।

ग्रामीण भारत में महिलाएं और बच्चे इस व्यवस्था का सबसे बड़ा शिकार होते हैं। जब परिवार का पालनकर्ता अचानक चला जाता है, तब बच्चों की पढ़ाई रुक जाती है, बुजुर्गों की देखभाल ठहर जाती है, और महिलाएं संघर्ष में डूब जाती हैं। ऐसी स्थिति में कोई संस्थागत मदद नहीं मिलती जिससे उन्हें आर्थिक सहारा मिल सके।

किसान परिवारों की सुरक्षा और सहयोग के लिए संगठनों और समाज को साथ आना होगा। यही सोच लेकर "सजग समाज सेवा सेतु फाउंडेशन" ने यह कदम उठाया है कि ऐसे पंजीकृत सदस्य जिनकी मृत्यु हो जाती है, उनके नामांकित व्यक्ति को संस्था की ओर से आर्थिक सहायता दी जाए। लेकिन उससे पहले अन्य सदस्य भी अपनी स्वेच्छा से 15 दिनों तक सहयोग राशि भेज सकते हैं जिससे सामूहिक रूप से एक मजबूत समर्थन तंत्र बन सके।

भारत जैसे देश में जहां लगभग 60% आबादी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पर निर्भर है, वहां किसानों की सामाजिक सुरक्षा सबसे बड़ी प्राथमिकता होनी चाहिए। सरकार की योजनाएं जैसे PM-KISAN, PM Fasal Bima Yojana आदि तो हैं, लेकिन इनकी पहुंच बहुत सीमित है और समय पर लाभ मिल पाना आज भी एक चुनौती है।

ऐसे में जब कोई गैर-सरकारी संगठन या फाउंडेशन किसानों के परिवार को तुरंत मदद देने का संकल्प लेता है, तो वह वास्तव में समाज में बदलाव की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होता है। जब अन्य सदस्य किसी परिवार की मदद करते हैं, तो यह केवल आर्थिक सहायता नहीं होती, बल्कि यह उस परिवार के लिए भावनात्मक समर्थन भी होता है कि वे अकेले नहीं हैं।

"जो धरती से जीवन निकालते हैं, खुद जीवन की अनिश्चितता में जीते हैं", यह पंक्ति केवल एक भाव नहीं बल्कि एक सच्चाई है। और इस सच्चाई को बदलना हम सबकी ज़िम्मेदारी है। एकजुट होकर, सहयोग से, और संगठित प्रयासों के माध्यम से हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि कोई भी किसान परिवार कभी बेसहारा न रहे।

सजग समाज सेवा सेतु फाउंडेशन इसी सोच के साथ काम कर रहा है – कि समाज के सबसे मेहनती वर्ग को वह सम्मान, सुरक्षा और समर्थन मिले जिसके वे सच्चे अधिकारी हैं। आइए, इस मिशन का हिस्सा बनें और बदलते भारत में किसानों के लिए स्थिरता और सुरक्षा की नींव रखें।